CBSE Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी
कसम
के
शिल्पकार
शैलेंद्र PDF
Contents
मौखिक
निम्नलिखित
प्रश्नों
के
उत्तर
एक–दो
पंक्तियों
में
दीजिए–
प्रश्न 1.
‘तीसरी
कसम‘ फिल्म
को
कौन–कौन
से
पुरस्कारों
से
सम्मानित
किया
गया
है?
उत्तर:
-
राष्ट्रपति
स्वर्णपदक
से
सम्मानित।
-
बंगाल
फ़िल्म
जर्नलिस्ट
एसोसिएशन
द्वारा
सर्वश्रेष्ठ
फ़िल्म
को
पुरस्कार।
-
मास्को
फ़िल्म
फेस्टिवल
में
भी
यह
पुरस्कृत
हुई।
प्रश्न 2.
शैलेंद्र
ने
कितनी
फिल्में
बनाईं?
उत्तर:
शैलेंद्र
ने
मात्र
एक
फिल्म ‘तीसरी
कसम‘ बनाई।
प्रश्न 3.
राजकपूर
द्वारा
निर्देशित
कुछ
फिल्मों
के
नाम
बताइए।
उत्तर:
-
‘मेरा
नाम
जोकर‘
-
‘अजन्ता‘
-
‘मैं
और
मेरा
दोस्त‘
-
‘सत्यम्
शिवम्
सुंदरम्‘
-
‘संगम‘
-
‘प्रेमरोग‘।
प्रश्न 4.
‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
के
नायक
व
नायिकाओं
के
नाम
बताइए
और
फिल्म
में
इन्होंने
किन
पात्रों
का
अभिनय
किया
है?
उत्तर:
नायक
का
नाम– राजकपूर, नायिका
का
नाम–वहीदा
रहमान।
नायक
राजकपूर
ने ‘हीरामन‘ का
और
नायिका
वहीदा
रहमान
ने ‘हीराबाई
का
अभिनय
किया।
प्रश्न 5.
फिल्म ‘तीसरी
कसम‘ का
निर्माण
किसने
किया
था?
उत्तर:
शिल्पकार
शैलेंद्र
ने।
प्रश्न 6.
राजकपूर
ने ‘मेरा
नाम
जोकर‘ के
निर्माण
के
समय
किस
बात
की
कल्पना
भी
नहीं
की
थी?
उत्तर:
राजकपूर
ने ‘मेरा
नाम
जोकर‘ के
निर्माण
के
समय
शायद
इसे
बात
की
कल्पना
नहीं
की
थी
कि
इस
फ़िल्म
के
एक
भाग
को
बनाने
में
छहः
वर्ष
का
समय
लग
जाएगा।
प्रश्न 7.
राजकपूर
की
किस
बात
पर
शैलेंद्र
का
चेहरा
मुरझा
गया?
उत्तर:
‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
की
कहानी
सुनकर
राजकपूर
ने
पारिश्रमिक
एडवांस
देने
की
बात
कही।
इस
बात
पर
शैलेंद्र
का
चेहरा
मुरझा
गया।
प्रश्न 8.
फ़िल्म
समीक्षक
राजकपूर
को
किस
तरह
का
कलाकार
मानते
थे?
उत्तर:
समीक्षक
मानते
हैं
कि
राजकपूर
एक
बड़े
फिल्म
निर्माता, सफल
अभिनेता
और
कुशल
निर्देशक
थे।
उन्हें
जो
भी
चरित्र
अभिनीत
करने
के
लिए
दिया
जाता
था, वे
उससे
एकाकार
हो
जाते
थे।
उनका
महिमामय
व्यक्तित्व
किसी
भी
चरित्र
की
आत्मा
में
उतर
जाता
था।
वे
जुवान
से
नहीं
आँखों
से
बोलते
थे।
वे
कला
मर्मज्ञ
थे।
लिखित
(क) निम्नलिखित
प्रश्नों
के
उत्तर (25-30 शब्दों
में) लिखिए–
प्रश्न 1.
‘तीसरी
कसम‘ फिल्म
को ‘सैल्यूलाइड
पर
लिखी
कविता‘ क्यों
कहा
गया
है?
उत्तर:
‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
को
सैल्यूलाइड
पर
लिखी
कविता
अर्थात्
कैमरे
की
रील
में
उतार
कर
चित्र
पर
प्रस्तुत
करना
इसलिए
कहा
गया
है, क्योंकि
यह
वह
फ़िल्म
है, जिसने
हिंदी
साहित्य
की
एक
अत्यंत
मार्मिक
कृति
को
सैल्यूलाइड
पर
सार्थकता
से
उतारा; इसलिए
यह
फ़िल्म
नहीं, बल्कि
सैल्यूलाइड
पर
लिखी
कविता
थी।
प्रश्न 2.
‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
को
खरीददार
क्यों
नहीं
मिल
रहे
थे?
उत्तर:
‘तीसरी
कसम‘ फिल्म
को
खरीददार
इसलिए
नहीं
मिल
रहे
थे, क्योंकि
इसमें
मनोरंजन
सामान्य
कोटि
का
नहीं
था।
यह
एक
साहित्यिक
फ़िल्म
थी।
इसकी
संवेदना
को
धन
कमाने
की
इच्छा
रखनेवाले
वितरक
समझ
नहीं
सके, लेकिन
इस
फ़िल्म
में
रची–बसी
करुणा
पैसे
के
तराजू
पर
तौली
जा
सकने
वाली
चीज़
नहीं
थी।
वितरक
जोखिम
नहीं
लेना
चाहते
थे, जबकि
इसमें
कलाकार
भी
उच्च
स्तर
के
थे।
प्रश्न 3.
शैलेंद्र
के
अनुसार
कलाकार
का
कर्तव्य
क्या
है?
उत्तर:
शैलेंद्र
के
अनुसार
कलाकार
का
कर्तव्य
है
कि
वह
उपभोक्ताओं
की
रुचियों
को
परिष्कार
करने
का
प्रयत्न
करे।
उसे
दर्शकों
की
रुचियों
की
आड़
में
सस्तापन/उथलापन
नहीं
थोपना
चाहिए।
उसके
अभिनय
में
शांत
नदी
का
प्रवाह
तथा
समुद्र
की
गहराई
की
छाप
छोड़ने
की
क्षमता
होनी
चाहिए।
प्रश्न 4.
फ़िल्मों
में
त्रासद
स्थितियों
का
चित्रांकन
ग्लोरीफाई
क्यों
कर
दिया
जाता
है?
उत्तर:
फ़िल्मों
में
त्रासद
स्थितियों
का
चित्रांकन
ग्लोरीफ़ाई
इसलिए
कर
दिया
जाता
है
ताकि
अधिकतर
लोगों
का
रुझान
नकारात्मकता, त्रासद
स्थितियों
एवं
हिंसा
की
ओर
अधिक
होने
से
उनको
फ़िल्म
देखने
के
लिए
आकर्षित
किया
जा
सके।
जबकि
सामाजिक
सुधार
के
लिए
उनमें
कुछ
सद्गुणों
एवं
शिक्षाप्रद
दृश्यों
को
ग्लोरीफ़ाई
करना
चाहिए।
प्रश्न 5.
“शैलेंद्र
ने
राजकपूर
की
भावनाओं
को
शब्द
दिए
हैं।
इस
कथन
से
आप
क्या
समझते
हैं? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर:
‘शैलेंद्र
ने
राजकपूर
की
भावनाओं
को
शब्द
दिए
हैं –का
आशय
है
कि
राजकपूर
के
पास
अपनी
भावनाओं
को
व्यक्त
कर
पाने
के
लिए
शब्दों
का
अभाव
था, जिसकी
पूर्ति
बड़ी
कुशलता
तथा
सौंदर्यमयी
ढंग
से
कवि
हृदय
शैलेंद्र
जी
ने
की
है।
राजकपूर
जो
कहना
चाहते
थे, उसे
शैलेंद्र
ने
शब्दों
के
माध्यम
से
प्रकट
किया।
राजकपूर
अपनी
भावनाओं
को
आँखों
के
द्वारा
व्यक्त
करने
में
कुशल
थे।
उन
भावों
को
गीतों
में
ढालने
का
काम .शैलेंद्र
ने
किया।
प्रश्न 6.
लेखक
ने
राजकपूर
को
एशिया
का
सबसे
बड़ा
शोमैन
कहा
है।
शोमैन
से
आप
क्या
समझते
हैं?
उत्तर:
शोमैन
ऐसे
व्यक्ति
को
कहते
हैं, जो
बहुत
लोकप्रिय
हो, जो
श्रेष्ठ
कला
का
प्रदर्शन
करके
अधिक
से
अधिक
जनसमुदाय
को
एकत्र
कर
सके
और
जिसके
नाम
से
ही
फिल्में
बिकती
हों।
लेखक
ने
राजकपूर
को
एशिया
का
सबसे
बड़ा “शोमैन‘ इसलिए
कहा
है, क्योंकि
उन्होंने
अपने
व्यापक
विषयों
को
भी
बड़ी
संपूर्णता
के
साथ
फिल्मी
परदे
पर
उतारा
था।
साथ
ही
अंतर्मन
की
भावनाओं
को
भी
बड़ी
ही
सूक्ष्मता
के
साथ
उकेरा
था।
राजकपूर
की
फ़िल्में
इन
बातों
की
कसौटी
पर
खरी
उतरती
हैं।
यही ‘शोमैन‘ का
आशय
है, तात्पर्य
है।
प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘श्री 420′ के
गीत ‘रातें
दसों
दिशाओं
से
कहेंगी
अपनी
कहानियाँ‘ पर
संगीतकार
जयकिशन
ने
आपत्ति
क्यों
की?
उत्तर:
संगीतकार
जयकिशन
ने
गीत ‘रातें
दसों
दिशाओं
से
कहेंगी
अपनी
कहानियाँ‘ पर
आपत्ति
इसलिए
की, क्योंकि
उनका
ख्याल
था
कि
दर्शक
चार
दिशाएँ
तो
समझते
हैं
और
समझ
सकते
हैं, लेकिन
दस
दिशाओं
का
गहन
ज्ञान
दर्शकों
को
नहीं
होगा।
(ख) निम्नलिखित
प्रश्नों
के
उत्तर (50-60 शब्दों
में) लिखिए–
प्रश्न 1.
राजकपूर
द्वारा
फ़िल्म
की
असफलता
के
खतरों
से
आगाह
करने
पर
भी
शैलेंद्र
ने
यह
फ़िल्म
क्यों
बनाई? ।
उत्तर:
राजकपूर
एक
परिपक्व
फ़िल्म–निर्माता
थे
तथा
शैलेंद्र
के
मित्र
थे।
अतः
उन्होंने
एक
सच्चा
मित्र
होने
के
नाते
शैलेंद्र
को
फ़िल्म
की
असफलता
के
खतरों
से
आगाह
भी
किया
था, लेकिन
शैलेंद्र
ने
फिर
भी ‘तीसरी
कसम‘ फिल्म
बनाई, क्योंकि
उनके
मन
में
इस
फिल्म
को
बनाने
की
तीव्र
इच्छा
थी।
वे
तो
एक
भावुक
कवि
थे, इसलिए
अपनी
भावनाओं
की
अभिव्यक्ति
इस
फ़िल्म
में
करना
चाहते
थे।
उन्हें
धन
लिप्सा
की
नहीं, बल्कि
आत्म–संतुष्टि
की
लालसा
थी
इसलिए
उन्होंने
यह
फिल्म
बनाई।
प्रश्न 2.
‘तीसरी
कसम‘ में
राजकपूर
की
महिमामय
व्यक्तित्व
किस
तरह
हीरामन
की
आत्मा
में
उतर
गया
है? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर:
‘तीसरी
कसम‘ में
राजकपूर
का
महिमामय
व्यक्तित्व
हीरामन
की
आत्मा
में
उतर
जाता
है।
हीरामन
फ़िल्म
कथा
का
मुख्य
पुरुष
पात्र
है।
उसकी
अपनी
विशेषताएँ
ओर
सीमाएँ
हैं।
राजकपूर
के
व्यक्तित्व
की
यह
विशेषता
रही
कि
स्वयं
हीरामन
न
होते
हुए
भी
अपनी
उत्कृष्ट
अभिनय
कला
से
हीरामन
बन
जाते
हैं।
वे
हीरामन
पर
हावी
नहीं
होते।
दूसरे
शब्दों
में
दो
होते
हुए
एक
बन
जाते
हैं।
अर्थात्
इस
अभिनय
में
राजकपूर
की
अभिनय
कला
का
चरमोत्कर्ष
उभरकर
सामने
आता
है।
प्रश्न 3.
लेखक
ने
ऐसा
क्यों
लिखा
कि ‘तीसरी
कसम‘ ने
साहित्य–रचना
के
साथ
शत
प्रतिशत
न्याय
किया
है?
उत्तर:
यह
वास्तविकता
है
कि ‘तीसरी
कसम‘ ने
साहित्य–रचना
के
साथ
शत–प्रतिशत
न्याय
किया
है।
यह
फणीश्वरनाथ
रेणु
की
रचना ‘मारे
गए
गुलफाम‘ पर
बनी
है।
इस
फिल्म
में
मूल
कहानी
के
स्वरूप
को
बदला
नहीं
गया।
कहानी
के
रेशे–रेशे
को
बड़ी
ही
बारीकी
से
फिल्म
में
उतारा
गया
था।
साहित्य
की
मूल
आत्मा
को
पूरी
तरह
से
सुरक्षित
रखा
गया
था।
प्रश्न 4.
शैलेंद्र
के
गीतों
की
क्या
विशेषताएँ
हैं? अपने
शब्दों
में
लिखिए।
उत्तर:
शैलेंद्र
के
गीतों
की
सबसे
पहली
विशेषता
यह
थी
कि
उनके
गीत
लोकप्रिय
थे।
उनके
गीतों
में
गहराई
के
साथ–साथ
आम
जनता
से
जुड़ाव
भी
था।
उनके
गीत
अच्छे
भावों
से
ओत–प्रोत
थे।
शैलेंद्र
के
गीतों
में
कहीं
भी
जटिलता
नहीं
थी।
उनके
गीतों
में
शांत
नदी
की
तरह
गति
व
समुद्र
की–सी
गहराई
थी।
उनके
गीतों
में
उनकी
जिंदगी
अभिव्यक्त
हुई
है।
प्रश्न 5.
फ़िल्म
निर्माता
के
रूप
में
शैलेंद्र
की
विशेषताओं
पर
प्रकाश
डालिए।
उत्तर:
फ़िल्म
निर्माता
के
रूप
में
शैलेंद्र
की
अनेक
विशेषताएँ
हैं, लेकिन
उनमें
से
प्रमुख
विशेषताएँ
निम्नलिखित
हैं–
-
फ़िल्म
निर्माता
के
रूप
में
शैलेंद्र
ने
जीवन
के
आदर्शवाद
एवं
भावनाओं
को
इतने
अच्छे
तरीके
से
फ़िल्म ‘तीसरी
कसम‘ के
माध्यम
से
सफलतापूर्वक
अभिव्यक्त
किया, जिसके
कारण
इसे
सर्वश्रेष्ठ
फ़िल्म
घोषित
किया
गया
और
बड़े–बड़े
पुरस्कारों
द्वारा
सम्मानित
किया
गया।
-
राजकपूर
की
सर्वोत्कृष्ट
भूमिका
को
शब्द
देकर
अत्यंत
प्रभावशाली
ढंग
से
दर्शकों
के
सामने
प्रस्तुत
किया
है।
-
जीवन
की
मार्मिकता
को
अत्यंत
सार्थकता
से
एवं
अपने
कवि
हृदय
की
पूर्णता
को
बड़ी
ही
तन्मयता
के
साथ
पर्दे
पर
उतारा
है।
प्रश्न 6.
शैलेंद्र
के
निजी
जीवन
की
छाप
उनकी
फ़िल्म
में
झलकती
है–कैसे? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर:
शैलेंद्र
के
निजी
जीवन
की
छाप
उनकी
फिल्म ‘तीसरी
कसम‘ में
झलकती
है।
शैलेंद्र
अपने
जीवन
में
बेहद
गंभीर, शांत, उदार
और
भावुक
कवि
हृदय
के
व्यक्ति
थे।
उनके
इन
सभी
गुणों
का
समावेश
फिल्म
में
पूरी
तरह
से
उजागर
होता
है।
शैलेंद्र
ने
कभी
भी
झूठे
अभिजात्य
को
नहीं
अपनाया
था
और
फिल्म
में
भी
इसे
नहीं
दर्शाया।
उनका
जीवन
नदी
के
समान
शांत
तथा
समुद्र
की
तरह
गंभीर
था।
यही
विशेषता
उन्होंने
अपनी
फिल्म
में
भी
प्रदर्शित
की
है।
प्रश्न 7.
लेखक
के
इस
कथन
से
कि ‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
कोई
सच्चा
कवि–हृदय
ही
बना
सकता
था, आप
कहाँ
तक
सहमत
हैं? स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर:
लेखक
के
इस
कथन
से
कि ‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
कोई
कवि
हृदय
ही
बना
सकता
था–से
हम
पूरी
तरह
से
सहमत
हैं, क्योंकि
कवि
कोमल
भावनाओं
से
ओतप्रोत
होता
है।
उसमें
करुणा
एवं
सादगी
और
उसके
विचारों
में
शांत
नदी
का
प्रवाह
तथा
समुद्र
की
गहराई
का
होना
जैसे
गुण
कूट–कूट
कर
भरे
होते
हैं।
ऐसे
ही
विचारों
से
भरी
हुई ‘तीसरी
कसम‘ एक
ऐसी
फ़िल्म
है, जिसमें
न
केवल
दर्शकों
की
रुचियों
को
ध्यान
रखा
गया
है, बल्कि
उनकी
गलत
रुचियों
को
परिष्कृत (सुधारने) करने
की
भी
कोशिश
की
गई
है।
(ग) निम्नलिखित
के
आशय
स्पष्ट
कीजिए–
प्रश्न 1.
…….वह
तो
एक
आदर्शवादी
भावुक
कवि
था, जिसे
अपार
संपत्ति
और
यश
तक
की
इतनी
कामना
नहीं
थी
जितनी
आत्म–संतुष्टि
के
सुख
की
अभिलाषा
थी।
उत्तर:
इसका
आशय
है
कि
शैलेंद्र
एक
आदर्शवादी
भावुक
हृदय
कवि
थे।
उन्हें
अपार
संपत्ति
तथा
लोकप्रियता
की
कामना
इतनी
नहीं
थी, जितनी
आत्मतुष्टि, आत्मसंतोष, मानसिक
शांति, मानसिक
सांत्वना
आदि
की
थी, क्योंकि
ये
सद्वृत्तियाँ
धन
से
नहीं
खरीदी
जा
सकतीं, न
ही
इन्हें
कोई
भेंट
कर
सकता
है।
इन
गुणों
की
अनुभूति
तो
अंदर
से
ईश्वर
की
कृपा
से
ही
होती
है।
इन्हीं
अलौकिक
अनुभूतियों
से
परिपूर्ण
थे–शैलेंद्र, तभी
तो
वे
आत्मतुष्टि
चाहते
थे।
प्रश्न 2.
उनका
यह
दृढ़
मंतव्य
था
कि
दर्शकों
की
रुचि
की
आड़
में
हमें
उथलेपन
को
उन
पर
नहीं
थोपना
चाहिए।
कलाकार
का
यह
कर्तव्य
भी
है
कि
वह
उपभोक्ता
की
रुचियों
का
परिष्कार
करने
का
प्रयत्न
करे।
उत्तर:
इसका
आशय
है
कि
शिल्पकार
शैलेंद्र
का
यह
दृढ़
निश्चय
था
कि
दर्शकों
की
रुचि
के
बहाने
या
उनका
सहारा
लेकर
हमें
अपने
सस्ते
अथवा
घटिया
साहित्यिक
विचारों
का
विक्रेता
नहीं
बनना
चाहिए।
हमें
कभी
भी
किसी
भी
कीमत
पर
अपने
ओछे
विचारों
तथा
घटिया
मानसिकता
को
दर्शकों
पर
नहीं
थोपना
चाहिए, बल्कि
एक
कलाकार
तथा
शिल्पकार
को
उपभोक्ता‘ की
रुचियों
को
काट–छाँट
तथा
तराश
कर
दर्शकों
के
लिए
पर्दे
पर
उतारना
चाहिए, यही
एक
निर्माता
की
सच्ची
उपासना
है, सच्ची
कर्तव्य–परायणता
है।
प्रश्न 3.
व्यथा
आदमी
को
पराजित
नहीं
करती, उसे
आगे
बढ़ने
का
संदेश
देती
है।
उत्तर:
इसका
अर्थ
है
कि
व्यथा, पीड़ा, दुख
आदि
व्यक्ति
को
कमज़ोर
या
हतोत्साहित
अवश्य
कर
देते
हैं, लेकिन
उसे
पराजित
नहीं
करते
बल्कि
उसे
मजबूत
बनाकर
आगे
बढ़ने
की
प्रेरणा
देते
हैं।
हर
व्यथा
आदमी
को
जीवन
की
एक
नई
सीख
देती
है।
व्यथा
की
कोख
से
ही
तो
सुख
का
जन्म
होता
है
इसलिए
व्यथा
के
बाद, दुख
के
बाद
आने
वाला
सुख
अधिक
सुखकारी
होता
है।
प्रश्न 4.
दरअसल
इस
फिल्म
की
संवेदना
किसी
दो
से
चार
बनाने
वाले
की
समझ
से
परे
है।
उत्तर:
इसका
आशय
है
कि
इस
फ़िल्म
की
संवेदनाओं
को
समझना
सभी
के
लिए
मुश्किल
है।
यह
फिल्म
तो
संवेदनाओं
से
परिपूर्ण
है।
धन
की
लिप्सा
रखने
वाले
वितरक
तो
इसे
समझ
ही
नहीं
पाए, क्योंकि
उनकी
बुधि
व्यावसायिक
होती
है।
वे
केवल
दो
से
चार
बनाने
का
गणित
ही
समझते
हैं
इसलिए
तो ‘तीसरी
कसम‘ जैसी
कलात्मक, भावनात्मक
फ़िल्म
के
लिए
वितरक
बड़ी
ही
कठिनाई
से
मिल
पाए
थे।
प्रश्न 5.
उनके
गीत
भाव–प्रवण
थे–दुरूह
नहीं।
उत्तर:
इसका
अर्थ
है
कि
शैलेंद्र
के
द्वारा
लिखे
गीत
भावनाओं
से
ओत–प्रोत
थे, उनमें
गहराई
थी, उनके
गीत
जन
सामान्य
के
लिए
लिखे
गए
गीत
थे
तथा
गीतों
की
भाषा
सहज, सरल
थी, क्लिष्ट
नहीं
थी, तभी
तो
आज
भी
इनके
द्वारा
लिखे
गए
गीत
गुनगुनाए
जाते
हैं।
ऐसा
लगता
है, मानों
हृदय
को
छूकर
उसके
अवसाद
को
दूर
करते
हैं।
भाषा
अध्ययन
प्रश्न 1.
पाठ
में
आए ‘से‘ के
विभिन्न
प्रयोगों
से
वाक्य
की
संरचना
को
समझिए।
-
राजकपूर
ने
एक
अच्छे
और
सच्चे
मित्र
की हैसियत से
शैलेंद्र
को
फ़िल्म
की
असफलता
के खतरों से
आगाह
भी
किया।
-
रातें
दसों दिशाओं से
कहेंगी
अपनी
कहानियाँ।
-
फ़िल्म
इंडस्ट्री
में
रहते
हुए
भी
वहाँ
के तौर–तरीकों से
नावाकिफ़
थे।
-
दरअसल
इस
फ़िल्म
की
संवेदना
किसी
दो
से
चार
बनाने
के
गणित
जानने
वाले
की समझ
से परे
थी।
-
शैलेंद्र
राजकपूर
की
इस
यारानी दोस्ती
से परिचित
तो
थे।
उत्तर:
केवल
छात्रों
के
ज्ञानार्थ।
प्रश्न 2.
इस
पाठ
में
आए
निम्नलिखित
वाक्यों
की
संरचना
पर
ध्यान
दीजिए
-
‘तीसरी
कसम‘ फ़िल्म
नहीं, सैल्यूलाइड
पर
लिखी
कविता
थी।
-
उन्होंने
ऐसी
फ़िल्म
बनाई
थी
जिसे
सच्चा
कवि–हृदय
ही
बना
सकता
था।
-
फ़िल्म
कब
आई, कब
चली
गई, मालूम
ही
नहीं
पड़ा।
-
खालिस
देहाती
भुच्च
गाड़ीवान
जो
सिर्फ़
दिल
की
जुबाने
समझता
है, दिमाग
की
नहीं।
उत्तर:
केवल
छात्रों
के
अवबोधनार्थ।
प्रश्न 3.
पाठ
में
आए
निम्नलिखित
मुहावरों
से
वाक्य
बनाइए –
-
चेहरा
मुरझाना,
-
चक्कर
खा
जाना,
-
दो
से
चार
बनाना,
-
आँखों
से
बोलना।
उत्तर:
-
चेहरा
मुरझाना – अपने
अनुत्तीर्ण
होने
की
खबर
सुनकर
मोहन
का
चेहरा
मुरझा
गया।
-
चक्कर
खा
जाना – शहरी
लड़कियों
को
सिगरेट
पीते
देखकर
गाँव
का
होरी
चक्कर
खा
गया।
-
दो
से
चार
बनाना – तुमने
इतनी
जल्दी
उन्नति
की
है, उसे
देखकर
लगता
है
तुमने
दो
से
चार
बनाए
हैं।
-
आँखों
से
बोलना – अभिनेत्री
वहीदा
रहमान
आँखों
से
अधिक
बोलती
थीं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित
शब्दों
के
हिंदी
पर्याय
दीजिए–
-
शिद्दत …………………..
-
याराना …………………..
-
बमुश्किल …………………..
-
खालिस …………………..
-
नावाकिफ …………………..
-
यकीन …………………..
-
हावी …………………..
-
रेशा …………………..
उत्तर:
-
तीव्रता
-
मित्रता
-
बहुत
कठिनाई
से
-
शुद्ध
-
विश्वास
-
अपरिचित
-
छा
जाना (प्रभाव
में
लेना)
-
बारीक
कण
प्रश्न 5.
निम्नलिखित
का
संधिविच्छेद
कीजिए
-
चित्रांकन = …………….. + ……………..
-
सर्वोत्कृष्ट = …………….. + ……………..
-
चर्मोत्कर्ष = …………….. + ……………..
-
रूपांतरण = …………….. + ……………..
-
घनानंद = …………….. + ……………..
उत्तर:
-
चित्र + अंकन
-
सर्व + उत्कृष्ट
-
चरम + उत्कर्ष
-
रूप + अंतरण
-
घन + आनंद
प्रश्न 6.
निम्नलिखित
को
समास
विग्रह
कीजिए
और
समास
का
नाम
भी
लिखिए
-
कला–मर्मज्ञ …………………..
-
लोकप्रिय …………………..
-
राष्ट्रपति …………………..
उत्तर:
-
कला
के
मर्मज्ञ – तत्पुरुष
समास
-
लोक
में
प्रिय – तत्पुरुष
समास
-
राष्ट्र
का
पति – तत्पुरुष
समास
योग्यता
विस्तार
प्रश्न 1.
फणीश्वरनाथ
रेणु
की
किस
कहानी
पर
तीसरी
कसम‘ फिल्म
आधारित
है, जानकारी
प्राप्त
कीजिए
और
मूल
रचना
पढ़िए।
उत्तर:
छात्र
स्वयं
करें।
प्रश्न 2.
समाचार
पत्रों
में
फिल्मों
की
समीक्षा
दी
जाती
है।
किन्हीं
तीन
फिल्मों
की
समीक्षा
पढ़िए
और ‘तीसरी
कसम‘ फिल्म
को
देखकर
इस
फिल्म
की
समीक्षा
स्वयं
लिखने
का
प्रयास
कीजिए।
उत्तर:
छात्र
स्वयं
करें।
परियोजना
कार्य
प्रश्न 1.
फिल्मों
के
संदर्भ
में
आपने
अकसर
यह
सुना
होगा-‘जो
बात
पहले
की
फिल्मों
में
थी, वह
अब
कहाँ‘।
वर्तमान
दौर
की
फिल्मों
और
पहले
की
फिल्मों
में
क्या
समानता
और
अंतर
है? कक्षा
में
चर्चा
कीजिए। |
उत्तर:
छात्र
स्वयं
करें।
प्रश्न 2.
‘तीसरी
कसम‘ जैसी
और
भी
फिल्में
हैं
जो
किसी
न
किसी
भाषा
की
साहित्यिक
रचना
पर
बनी
हैं।
ऐसी
फिल्मों
की
सूची
निम्नांकित
प्रपत्र
के
आधार
पर
तैयार
करें।
क्र.सं. फिल्म
का
नाम साहित्यिक रचना भाषा
रचनाकार
-
……………….. ……………….. ……………….. ………………..
-
……………….. ……………….. ……………….. ………………..
-
……………….. ……………….. ……………….. ………………..
-
……………….. ……………….. ……………….. ………………..
उत्तर:
छात्र
स्वयं
करें।
प्रश्न 3.
लोकगीत
हमें
अपनी
संस्कृति
से
जोड़ते
हैं। ‘तीसरी
कसम‘ फिल्म
में
लोकगीतों
का
प्रयोग
किया
गया
है।
आप
भी
अपने
क्षेत्र
के
प्रचलित
दो–तीन
लोकगीतों
को
एकत्र
कर
परियोजना
कॉपी
पर
लिखिए।
उत्तर:
छात्र
स्वयं
करें।
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